Friday, March 27, 2009

जॉन होप फ्रैंकलिन का निधन


गत 25 मार्च को अमरीकी इतिहासकार जॉन होप फ्रैंकलिन का 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. अमेरिकी इतिहास में अश्वेतों को उनका उचित स्थान दिलाने में फ्रैंकलिन का महती योगदान है. नस्लवादी पूर्वाग्रह से ग्रस्त अमेरिका के दक्षिणी राज्य ओक्लाहोमा में पैदा हुए फ्रैंकलिन ने अश्वेतों के प्रति होने वाले भेद-भाव और दुर्व्यवहार को स्वयं अनुभव किया था. ऐसा ही एक कटु अनुभव उस समय का है जब बचपन में उन्होंने एक नेत्रहीन महिला को सड़क पार करने में मदद करने की कोशिश की. जब उन्होंने यह बताया कि वे अश्वेत हैं तो उस महिला ने घृणा से उनका हाथ झटक दिया.

अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में वह जिम क्रो कानूनों का दौर था.  जिम क्रो कानूनों के अनुसार सरकारी स्कूलों, सार्वजनिक शौचालयों, बसों, ट्रेनों, रेस्तराँ और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर श्वेत और अश्वेत लोगों के लिए अलग व्यवस्था थी. ये कानून कहने को तो अश्वेतों को 'पृथक मगर बराबर' (सेपरेट बट ईक्वल) दर्जा देते थे मगर मूलतः ये नस्लवादी मानसिकता का प्रतीक थे. 

'ब्राउन विरुद्ध बोर्ड ऑफ़ एजूकेशन' केस को बीसवीं सदी के अमेरिकी इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है.  अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1954 में दिए गए इस केस के फैसले में श्वेत और अश्वेत बच्चों के लिए अलग स्कूल व्यवस्था को गैर-बराबरी पर आधारित घोषित कर समाप्त किया गया.  इस ऐतिहासिक फैसले ने नागरी अधिकार आन्दोलन के लिए ज़मीन तैयार की.  इस मुक़दमे के लिए अश्वेत समुदाय की ओर से युक्तिवाद और तर्क सामग्री तैयार करने में फ्रैंकलिन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही. 

1947 में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'फ्रॉम स्लेवरी टू फ्रीडम' आज भी अमेरिका में अश्वेत समुदाय के इतिहास का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ मानी जाती है. 1995  में उन्हें अमेरिका के सर्वोच्च नागरी अलंकरण 'प्रेसिडेंट्स मेडल ऑफ़ फ्रीडम' से सम्मानित किया गया.

 

 

चित्र: नेशनल आर्काइव्ज़ एंड रिकार्ड्स एडमिनिस्ट्रेशन (यू एस ए) से साभार.
 

7 comments:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

अच्छी जानकारी दी आपने। शुक्रिया।

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर.स्वागत है.

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bhagwan unki aatma ko shanti de, narayan narayan

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

आपके माध्यम से जॉन होप फ्रैंकलिन जी जैसे व्यक्तित्व के बारे में जानने का अवसर प्राप्त हुआ......आभार

GANGA DHAR SHARMA said...

बहुत अच्छा मित्र . सतत लिखते रहो. शुभ कामनाएं

अफ़लातून said...

अच्छी पोस्ट । पीट सीगर का कोई आन्दोलनात्मक गीत भी साथ में देते तब और अच्छा रहता ।