पढे तो थे
स्कूल में
ध्वनि से जुडे
सिद्धांत-नियम
रिवरबरेशन,रेज़ोनन्स,डोप्लर इफ़ेक्ट
सिर्फ टर्म्स याद हैं अब तो.
कुछ प्रयोग
करना चाहता हूँ
आजकल.
रंग देना चाहता हूँ
मेरे कमरे की दीवारों को
तुम्हारी आवाज़ से.
तुम्हारी आवाज़ की
एक पेंटिंग बनाकर
लगाना चाहता हूँ
मेरे टेबल के सामनेवाली
दीवार पर.
तुम्हारी आवाज़ से
लिखना चाहता हूँ
मेरी एक अभागी बहन
प्रतिभा के नाम चिटठी
जिसके किसान पति रामेश्वर ने
पिछले साल
कीटनाशक पी लिया था.
तुम्हारी आवाज़ में
लगाना चाहता हूँ
इंकलाबी नारे.
लिखना चाहता हूँ
असंतोष की कविताएँ,
बनाना चाह्ता हूँ
आंदोलनों के लिए
पोस्टर-होर्डिँग,
तुम्हारी आवाज से.
और कभी फुर्सत में
सारे शरीर पर लपेटकर
भभूत
तुम्हारी आवाज़ की,
ध्यान-मुद्रा में
बैठना चाहता हूँ
किसी ऊँची पहाडी की
चोटी पर.
मैं फिर फिज़िक्स पढना चाहता हूँ.
3 comments:
पढ़ डालो भई, पढ़ डालो। सिर्फ हेडर पढ़कर पूरी खबर समझ में नहीं आई थी। बढ़िया लिखा है।
बहुत दिन बाद लिखा। अच्छा लगा।
शीर्षक देख कर लगा था कि आप कुछ पढ़ाई वगैरा की बात कर रहे हैं। पोस्ट पढ़कर असल बात पता चली।
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